शुक्रवार, 6 मार्च 2009

देश में,गांधी मत आना ........
संसद में भी घुसना अब तो नहीं रहा आसान
लालकिले जाओगे तो हो जाएगा अपमान
ऊँची-ऊँची कुर्सी पर भी बैठे हैं बैईमान
नहीं रहा जैसा छोड़ा था तुमने हिंदुस्तान
राजघाट के माली भी मारेंगे तुमको ताना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
होंठ पे सिगरेट, पेट में दारू हो तो आ जाओ
तन आवारा, मन बाज़ारू हो तो आ जाओ
आदर्शों को टाँग सको तो खूंटी पर टाँगो
लेकर हाथ कटोरा कर्जा गोरों से माँगो
टिकट अगर मिल जाए तो तुम भी चुनाव लड़ जाना।
अब देश में गांधी, मत आना मत आना, मत आना।
अगर दोस्ती करनी हो तो दाउद से करना
मंदिर- मस्जिद के झगड़े में कभी नहीं पड़ना
आरक्षण की, संरक्षण की नीति न अपनाना
चंदे के फंदे को अपने गले न लटकाना
कहीं माधुरी दीक्षित पर तुम भी न फ़िदा हो जाना।
अब देश में गांधी, मत आना, मत आना, मत आना।
.........आँसू
पीड़ा का अनुवाद हैं आँसू
एक मौन संवाद हैं आँसू

दर्द , दर्द बस दर्द ही नहीं
कभी-कभी आह्लाद हैं आँसू

जबसे प्रेम धरा पर आया
तब से ही आबाद हैं आँसू

अब तक दिल में हैं हलचल-सी
मुझको उनके याद हैं आँसू

कभी परिंदे कटे-परों के
और कभी सैयाद हैं आँसू

इनकी भाषा पढ़ना 'प्रकृति'
मुफ़लिस की फ़रियाद हैं आँसू!!!
माँ के चरणों में ......
सुप्रभात ,कैसे हें आप ?
रोजी रोटी की जुगत में ,
संबंधों का ठीकरा बार बार उठाकर जमीन पर रखना पड़ रहा है ,
ऐसे में मुलाक़ात और बात दोनों कम हो रही है ,
मगर इस बात का निरंतर एहसास है कि लौट के बार बार आपके पास ही आना है ,
क्यूंकि आपके पास ही हमारी थाती है और आपके पास ही हमारी ठौर
स्वीकार करें मेरा अभिवादन माँ को लिखी इस कविता से ,
जिसे मैं हर पल याद करता हूँ
आसमान में बादल नहीं
चाँद खिला है माँ
बादल बरसते हें चाँद नहीं
हम फिर छले गए इस आसमान से
पीछे की पहाडी / कब हरी होगी माँ
कब आयेंगे पश्चिम के मेघ
नाले चल रहे होंगे
बादल कहीं नजर नहीं आते
मिटटी !
तुम्हारे चेहरे की भांति /सुखी हुई
और आँखें टकटकी लगाये देखती हें
निष्ठुर आसमान की और
कभी सूरज/कभी चाँद
मुँह चिढाते हैं हम बौछारों के मौसम में
धुप से बचाव के छाते लगते हैं ..........
पत्रकार .......
लोकतंत्र का इक,
अभिन्न अंग है, पत्रकार।
नाम कलम से, काम कलम से,
है ,युग निर्माता पत्रकार।
हिंसा और आतंक मिटाने की,
चेष्ठा है पत्रकार।
घटनाओं का आंखों देखा,
लेख है, लिखता पत्रकार।
जन-जन तक ख़बरें पहुंचाकर,
दायित्व निभाता पत्रकार।
दिखता नही सुबह का सूरज,
फिर कलम पकड़ता पत्रकार।
अविलम्बित ये मानव ऐसा ,
बेबाक टिप्पणी पत्रकार।
ये भी एक विडम्बना है,
आतंकित है पत्रकार।
हो जाए चाहे जो कुछ भी,
पर निडर व्यक्ति है पत्रकार।
समय अनिश्चित,
कार्य अनिश्चित,
पर निश्चित है, पत्रकार।
एक सिपाही बंदूको,
से एक सिपाही कमलकार,
लोकतंत्र का पत्रकार,
ये लोकतंत्र का पत्रकार।
गाँधी हुए नीलाम........
गांधीजी की चीजों की नीलामी पूरी हो गयी है. गांधीजी की चीजों को भारतीय कारोबारी विजय मल्ल्या ने तक़रीबन १.८ मिलियन डॉलर यानि ८ करोड़ से ज्यादा रुपयों में खरीद लिया है. श्री मल्ल्या इन सारी चीजों को भारत सरकार के हाथ सौंप देंगे. कई दिनों से इस नीलामी को लेकर विवाद जारी था, इस नीलामी में गांधीजी की कई निजी चीजें शामिल थी। न्यूयार्क में हुई नीलामी में गांधीजी की पाकेट घङी, चमङे की चप्पल, उनका चश्मा, पीतल की थाली और एक कटोरी को खरीदने के लिए लोगोने बोली लगायी. इस समय विजय मल्ल्या की ओर से टोनी बेदी ने इन चीजों पर बोली लगायी और अंत में इन्हें जीत लिया. इन चीजों को खरीदने के लिए १२ लोगों ने फ़ोन पर और १२ लोगों ने इन्टरनेट के ज़रिये बोली लगायी. और कई लोग इन चीजों पर बोली लगाने के लिए वहां मौजूद थे. इस नीलामी के लिए दुसरे नंबर की बोली इंग्लैंड से लगी थी, ये बोली १.७५ मिलियन डॉलर के करीब थी, इस बोली को लगाने वाली पार्टी ने इन्टरनेट के जरिये इस नीलामी में शामिल हुई थी. नीलामीघर एंटी कोरम को उम्मीद थी कि इन चीजों पर ३०,००० डालर यानि तक़रीबन १५ लाख रुपयों की बोली लगेगी लेकिन अंत में गांधीजी की इन चीजों की कीमत कहीं ज्यादा निकली. इन चीजों को वापस लाने के लिए भारत सरकार और संत सिंह चटवाल जैसे भारतीय अमेरिकी कारोबरियोने भी दिलचस्पी दिखाई थी.भारत सरकार द्वारा इस नीलामी को रोकने के सारे प्रयास नाकामयाब रहे हैं. इन वस्तुओं के मालिक जेम्स ओटिस ने कहा था कि अगर भारत सरकार बजट का बड़ा हिस्सा गरीबों के लिए खर्च करने का वचन दे तो वह इस नीलामी को रोक देंगे. ओटिस ये भी चाह रहे थे कि गांधीजी की वस्तुओं की ऐसी चलती फिरती प्रदर्शनी हो जिसे दुनिया भर के लोग देख सकें और गांधीजी के विचारों से परिचित हो सके. लेकिन जेम्स ओटिस और सरकार के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया और इन चीजों की नीलामी तय हो गयी.हांलाकि इस सब के बावजूद कुछ सवाल अभी भी बने हुये हैं क्या इस नीलामी को भारत अब कानूनी तौर पर मंजूरी देगा ? क्या विजय मल्ल्या इन चीजों को भारत सरकार के हवाले करेंगे? क्योंकि भारत के कोर्ट ने इस नीलामी को ग़ैरकानूनी करार दिया था, वहीं इन चीजों को नीलामी घर को देने वाले जेम्स ओटिस ने कहा है कि इस पूरे मामले को लेकर वह २३ दिन के लिए उपवास रखेंगे. .