बुधवार, 4 मार्च 2009

कबीरा चला कैलिफोर्निया......
मई के महीने में कैलिफोर्निया के कबीर प्रेमी, प्रहलाद सिंह टिपनया के सुरों में स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी के मंच पर कबीर बानी सुनेंगे. कबीर पर बनी चार फिल्में कैलिफोर्निया के स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में कबीर उत्सव के दौरान दिखाई जा रहीं हैं और जिस कवि की रचनाएँ भारत में सदियों से गाई जा रहीं हैं, अब उनकी गूँज कैलिफोर्निया में भी लोगों को लुभा रही हैं. रूढ़िवाद और कट्टरपंथ का खुलकर विरोध करने वाले संत कबीर ६०० साल पहले कह गए कि परमात्मा न कैलाश पर हैं न काबा में, न पुराण में, न कुरान में. कई कबीर प्रेमियों का मानना है कि कबीर के दोहे और कवितायें आज की दुनिया पर भी उतनी ही लागू होती हैं जितनी पहले थी.चलो हमारे देस नाम की इस फ़िल्म में निर्देशिका शबनम विरमानी ने देखा की मालवा के दलित समाज के प्रहलाद सिंह टिपनया उत्तर भारत में कबीर की आवाज़ लोगों तक पहुंचा रहे हैं. स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर लिंडा हेस भी कबीर में लीन हैं और उनका भारत से प्रेम काफ़ी पुराना है.कबीर की खोज में निकली फ़िल्म की निर्देशिका विरमानी ने लिंडा हेस को भी इस यात्रा की एक अहम् कड़ी माना है. उनके वाराणसी में गुज़ारे हुए दिन और उनका स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में आज काम, दोनों ही कबीर से जुड़े हैं.

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