सोमवार, 16 मार्च 2009

भगवान् को भी यदि इस दुनिया में आना है तो उसे रोटी के रूप में आना होगा
कल सिटी ग्रुप के, ये कहने के बाद कि इस वर्ष के पहले दो महीनों में, उसे मुनाफ़ा हुआ है अमरीका ही नहीं पूरे विश्व की अर्थ मंडियों में खुशहाली देखने में आयी जो रेगिस्तान में वर्षा की एक बूंद से कम नहीं है, लेकिन ऐसी परिस्थितियों के जानकारों का कहना है १९२९ की महामंदी के बाद जबकि ज़्यादातर लोगों का ये मानना था कि अब कभी भी ऐसे दिन नहीं देखने पड़ेंगे पर ऐसा नहीं हुआ.इस समय अमरीका के हर बड़े शहर में जिन लोगों की नौकरियां चली गयीं है वो तम्बुओं में पनाह लिए हुएं हैं .हर शहर के फ़ूड बैंक खाली हो गये हैं. इस समय राष्ट्रपति ओबामा का सबसे बड़ा लक्ष्य है अमरीका में इंसानों के बीच एक नया समझौता हो, उसी से कठिनाईयों से बाहर आया जा सकता है, एक साथ मिलकर ही इस मंदी के दौर से हम निकल सकते हैं.ऐसे ही एक समाचार ने अमरीका के करोङों लोगो में तब एक नया उत्साह पैदा किया, जब टेलीविजन पर उन्होंने ये देखा कि डेनवर शहर में एक अच्छे खासे चलते रेस्तंरा ने ये एलान किया कि इस मुश्किल के समय में कोई भी आकर खा सकता हैड उनका मेनू वैसा ही रहेगा जैसा कि हैड हर डिश के दाम भी वही रहेंगे, जिनके पास देने को पैसे नहीं हैं वो खाने के बाद रेस्तंरा के काम में अपनी मदद दे सकते हैं, काम में हाथ बटा सकते हैं. जिनके पास पास हैं वो दे सकते है जो ज़्यादा देकर मदद करना चाहतें हैं वो भी कर सकते हैं लेकिन कोई भी यहां से भूखा नहीं जायेगा. और ये भी कहा गया कि उन्होंने ये कदम गांधी जी के एक वाक्य से प्रेरित होकर उठाया है, गांधी जी ने एक बार कहा था कि लोगों की मुसीबतों को देखते हुए भगवान् को भी यदि इस दुनिया में आना है तो उसे रोटी के रूप में आना होगा.

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